खाकी के शर्मसार करने वाले एक इंस्पेक्टर की करतूत से लखनऊ पुलिस की खूब फजीहत हो रही है।
लखनऊ। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कानून-व्यवस्था पर भरोसा कौन करेगा। खाकी के शर्मसार करने वाले एक इंस्पेक्टर की करतूत से लखनऊ पुलिस की खूब फजीहत हो रही है।
खबर यह कि कृष्णा नगर, मोहनलालगंज समेत लखनऊ के कई थानों में प्रभारी निरीक्षक के पद पर तैनात रहे इंस्पेक्टर महेश दुबे के खिलाफ एक युवती से दुष्कर्म करने और बच्चा होने पर अपहरण कर जान से मारने की धमकी देने समेत कई गंभीर धाराओं में विकास नगर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कतई गयी है।इसमें महेश की पत्नी शिखा को भी आरोपी बनाया गया है। अभी दोनों फिलहाल फरार हैं। इंस्पेक्टर महेश दूबे मौजूदा समय में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीपी) में बांदा जनपद में नियुक्त हैं ।
पुलिस के मुताबिक पीड़िता आरोपी इंस्पेक्टर के साथ पिछले कुछ समय से लिव-इन रिलेशनशिप में थी। हालांकि, पीड़िता ने लिव इन में रहने की बात से इंकार किया है। उसका कहना है कि जब वह गर्भवती हुयी तो महेश ने उसका गर्भपात कराने की कोशिश की, बावजूद पीड़िता ने बच्चे को जन्म दे दिया। फिर फंसने की डर से महेश और उसकी पत्नी ने मारपीट करके बच्चे को छीन लिया।
इसके बाद बच्चे को जान से मरने की धमकी दी और उसे पुलिस में शिकायत न करने की धमकी दी। इसके बाद भी पीड़िता ने पुलिस आयुक्त एसबी शिरडकर से शिकायत की। जिस पर महेश दुबे को निलंबित करते हुए तत्कालीन एसीपी महानगर को जांच सौंपी गई । इस जांच में महेश दुबे और पत्नी शिखा दुबे को दोषी पाया गया । इस रिपोर्ट के आधार पर आज रविवार को विकास नगर कोतवाली में महेश और शिखा पर दुष्कर्म, अपहरण, धमकी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
क्या कहते हैं अभिजीत आर शंकर, एडीसीपी उत्तरी
जांच में इंस्पेक्टर महेश और उसकी पत्नी को दोषी पाया गया । जांच रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर दोनों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
महेश दुबे पर लग चुके हैं कई भ्रष्टाचार के आरोप
महेश दूबे पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। कानपुर निवासी आरोपी इंस्पेक्टर महेश दुबे का विवादों से गहरा सम्बन्ध रहा है। लखनऊ में तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। यहां कृष्णा नगर कोतवाली क्षेत्र में 30 जुलाई 2021 को एक महिला द्वारा ओला कैब चालक को सरेराह पीटने की सोशल मीडिया पर ये घटना काफी वायरल हुई थी। इस मामले में कोतवाली प्रभारी महेश दुबे ने बिना जांच किये कैब चालक को हिरासत में लिया था और 10 हजार रुपये लेकर अगली सुबह छोड़ दिया था । उच्चस्तरीय जांच के बाद इस मामले में उनको लाइन हाजिर होना पड़ा था ।
वहीं मोहनलालगंज कोतवाली में इनकी तैनाती के दौरान 14 दिसंबर 2021 को खनन ठेकेदार शिव मिलन सिंह व हरेराम ने विधान भवन के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था। जांच में शिवमिलन ने बताया कि प्रभारी निरीक्षक महेश दुबे पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाया था। जांच के बाद समय भी महेश को निलंबित कर दिया गया था।
भ्रष्टाचारी को कैसे दे दी गई थी एंटी करप्शन ब्यूरो में तैनाती…?
जिस इंस्पेक्टर पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, बावजूद उसे एंटी करप्शन ब्यूरो में तैनाती कैसे दी गई। विभाग का अजीब हल हैं वहीं दुष्कर्म की घटना में जांच के बीच आरोपी इंस्पेक्टर को दूसरे जिले में स्थानांतरित करना पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों की कार्यशैली भी संदेह के घेर में हो जाती है।